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25 मई 2021

भारत में  गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) की शुरुआत देश में सबसे महत्वपूर्ण टैक्स सुधारों में से एक के रूप में की गई थी. GST ने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद की है, इसने टैक्स व्यवस्था को आसान बनाया है और 'एक देश, एक कर' के विचार को लागू किया है. सभी उद्योग विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि GST ने बिज़नेस करना आसान बना दिया है. GST ने दरों में एकरूपता प्रदान की है और विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर दिया है. इसने कई तरह के टैक्स को खत्म कर दिया है, टैक्स का दायरा बढ़ाया है और टैक्स आय में योगदान दिया है.

आइए देखते हैं कि इसने IT/ITES सेक्टर को कैसे प्रभावित किया है

  • GST लागू होने से पहले, सॉफ्टवेयर कंपनियों के वर्गीकरण को लेकर कुछ अनिश्चितता थी. राज्यों ने सॉफ्टवेयर को वस्तु माना जबकि केंद्र ने इसे सेवा के रूप में वर्गीकृत किया. इसके कारण, IT कंपनियों को अपने प्रोडक्ट पर दोहरा टैक्स का भुगतान करना पड़ा - राज्यों को VAT और केंद्र को सर्विस टैक्स. GST ने नियमों को स्पष्ट करके और इसे प्रोडक्ट या सर्विस के अंतर्गत वर्गीकृत करके इस मुद्दे को हल कर दिया है

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  • GST के अच्छे पहलुओं में से एक IT/ ITeS कंपनियों के लिए उपलब्ध कराया गया इनपुट टैक्स क्रेडिट है. यह बिक्री पर लगाया जाने वाला टैक्स है, जिसे वे अपनी खरीद पर लगे टैक्स से कम कर सकते हैं.
  • किसी भी प्रकार की IT/ITeS सेवाओं जैसे BPO, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, कंसल्टेंसी आदि के निर्यात को ज़ीरो-रेटिड कर दिया गया है. इसी प्रकार, SEZs  में भी किसी भी प्रकार की सप्लाई को ज़ीरो रेटिड कर दिया गया है. इसका मतलब है कि इन दो प्रोडक्ट की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा. लेकिन, कंपनियां इनपुट पर रिफंड का क्लेम कर सकती हैं. यह नियम तभी लागू होता है जब प्रोडक्ट पूरी तरह से भारत से डिलीवर किया जाता है. वास्तव में, कई सॉफ्टवेयर कंपनियां विदेशी भागीदारी के सहयोग से काम करती हैं. इस प्रभाव के लिए, GST काउंसिल ने यह फैसला लिया है कि अगर ये सेवाएं आंशिक रूप से विदेश से भी प्रदान की जाती हैं, तो भी इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड किया जाएगा. इससे इस सेक्टर को बहुत लाभ होगा.
  • GST से पहले, कंपनियों को अपने टैक्स भरने के लिए केंद्र स्तर पर रजिस्टर करवाना पड़ता था. लेकिन, GST के तहत, देश भर में 111 टैक्स सेंटर फैले हुए हैं. लेकिन अब इन कंपनियों को अब अपने कारोबार के लिए कई राज्यों में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन करवाने पड़ते हैं, जहां यह लागू है. इस वजह से कंपनियों का अनुपालन खर्च और कार्मिक बल बढ़ जाएगा.

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  • GST ने प्रिंटर, फैक्स मशीन, फोटोकॉपी मशीन आदि जैसे कई प्रोडक्ट की लागत को 18% से 28% तक बढ़ा दिया है. इसके परिणामस्वरूप, उनकी संचालन लागत अधिक हो गई है.
  • GST ने टैक्स के कास्केडिंग इफेक्ट को खत्म कर दिया है, जिससे ग्राहक को सिर्फ वास्तविक टैक्स राशि चुकाने की ज़रूरत होती है. अगर सेवा प्रदाता अपने ग्राहकों को यह लाभ देते हैं और कम कीमतों पर समान बेचते हैं, तो इससे उन्हें लंबे समय में फायदा होगा.

निष्कर्ष

अगर कुछ अनुपालन और नियमों संबंधी चुनौतियों को छोड़ दें तो IT/ ITeS सेक्टर पर GST का अच्छा प्रभाव पड़ा है

 

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