लीन स्टार्टअप क्या है?
लीन स्टार्टअप, उद्योगों द्वारा अपनाया जाने वाला तरीका है, जिसमें मनोभावों के बजाय ग्राहक से मिले फीडबैक को और बिज़नेस प्लानिंग के पुराने तरीकों के बजाय फ्लेक्सिबल प्रोडक्ट डेवलपमेंट को प्राथमिकता दी जाती है. यह पद्धति, वैलिडेटेड लर्निंग के सिद्धांत पर केंद्रित है. वैलिडेटेड लर्निंग ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें स्टार्टअप अपने उस अनुमान को टेस्ट करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें लगता है कि उनका बिज़नेस सफल होगा. इसका मुख्य सिद्धांत मिनिमल वाएबल प्रोडक्ट (MVP) तैयार करना है — यह प्रोडक्ट का एक बेसिक वर्ज़न होता है, जो शुरुआती ग्राहकों को संतोषजनक अनुभव देने के लिए और प्रोडक्ट को किस तरह से डेवलप करना चाहिए, इस बारे में अहम जानकारी देने के लिए पर्याप्त होता है. इससे स्टार्टअप को रिसोर्स को ज़रूरत के मुताबिक बनाने, लागतों को कम करने और नए उत्पादों को लॉन्च करने से जुड़े मार्केट के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है. लीन स्टार्टअप, ग्राहक से की गई बातचीत पर आधारित अपने बिज़नेस मॉडल से जुड़े अनुमानों को लगातार टेस्ट करके और उनमें लगातार सुधार करके बदलावों को बहुत जल्दी अपना लेते हैं और ज़्यादा कुशलतापूर्वक सस्टेनेबल मॉडल ढूंढ लेते हैं. यह तरीका खासतौर से सीमित फंडिंग वाले स्टार्टअप के लिए सबसे सही होता है. इसमें जानकारी के हिसाब से डेवलपमेंट किया जाता है और लर्निंग के आधार पर बदलाव किए जाते हैं. जो उद्यमी इस तरीके को अपनाना चाहते हैं, वे अपने व्यापार में मदद पाने के लिए स्टार्टअप बिज़नेस लोन के विकल्प देख सकते हैं और उनका लाभ ले सकते हैं.
लीन स्टार्टअप के लाभ
लीन स्टार्टअप पद्धति के कई दमदार लाभ हैं, जिनका नए व्यापार की काम करने की कुशलता और सफलता की दर पर अहम प्रभाव पड़ सकता है. यहां कुछ प्रमुख लाभ बताए गए हैं:
- लागत कम करने से जुड़ी दक्षता: मिनिमल वाएबल प्रोडक्ट (MVP) तैयार करने और बार-बार लिए जाने वाले फीडबैक के आधार पर, लीन स्टार्टअप ऐसे फ़ीचर को डेवलप करने से जुड़ी उच्च लागत से बच सकते हैं, जो मार्केट की ज़रूरतों को पूरा नहीं करते हैं
- ज़रूरत के हिसाब से बदलाव लाने में कुशल: जल्दी-जल्दी और लगातार फीडबैक पाने की प्रक्रिया की मदद से ये स्टार्टअप, मार्केट की बदलती मांगों या ग्राहकों की पसंद-नापसंद के हिसाब से तुरंत खुद को एडजस्ट कर लेते हैं, साथ ही उनके लिए ज़्यादा प्रासंगिक और मार्केट में प्रतिस्पर्धी भी बने रहते हैं
- मार्केट में जल्दी सेट होना: लीन स्टार्टअप अपने प्रोडक्ट को ज़्यादा तेज़ी से मार्केट में ला सकते हैं क्योंकि वे शुरूआत में ही प्रोडक्ट को पूरे फ़ीचर के साथ उतारने के बजाय, उस प्रोडक्ट को शुरुआत में अपनाने वाले लोगों के लिए ज़रूरी कार्यक्षमताओं को लाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं
- ग्राहक पर ज़्यादा फ़ोकस: सीधे ग्राहक से फीडबैक लेना, प्रोडक्ट डेवलपमेंट प्रोसेस का एक अभिन्न अंग होता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रोडक्ट असल यूज़र की ज़रूरतों और पसंद-नापसंद के मुताबिक तैयार किया जाए, और इस प्रकार प्रोडक्ट को मार्केट के हिसाब से उपयुक्त बनाने की संभावना भी बढ़ जाती है
- डेटा के आधार पर निर्णय लेना: मेट्रिक्स और फीडबैक पर जोर देने से अनुमानों और कल्पनाओं के बजाय यूज़र के व्यवहार और अनुभव के डेटा पर आधारित निर्णय लेने में मदद मिलती है
इन लाभों से नए बिज़नेस को लॉन्च करने और स्केल करने के जोखिम और ज़रूरी रिसोर्स को कम करने में मदद मिलती है, इसी वजह से लीन स्टार्टअप का तरीका, खासतौर से आज के समय में तेज़ी से बढ़ते बिज़नेस परिवेश के हिसाब से काफी दिलचस्प बन गया है
लीन स्टार्टअप से जुड़ी ज़रूरतें
लीन स्टार्टअप का तरीका अपनाने के लिए कुछ आधारभूत एलिमेंट की ज़रूरत होती है, ताकि बेहद अनिश्चितता वाली स्थितियों में बिज़नेस बनाने की प्रक्रिया के बारे में असरदार तरीके से मार्गदर्शन दिया जा सके. यहां उन ज़रूरतों के बारे में बताया गया है:
- वैलिडेटेड लर्निंग पर फ़ोकस करना: अपने बिज़नेस के अनुमानों को असरदार तरीके से सुदृढ़ बनाने के लिए स्टार्टअप को प्रोडक्ट को एक ही बार में ज़्यादा से ज़्यादा फंक्शनल बनाने के बजाय लर्निंग को प्राथमिकता देना चाहिए. लर्निंग में अनुमानों को टेस्ट करने के लिए एक्सपेरिमेंट सेट किए जाते हैं
- मिनिमल वाएबल प्रोडक्ट (MVP) तैयार करें: MVP बनाना ज़रूरी है. इससे स्टार्टअप को अपने प्रोडक्ट को बेसिक वर्ज़न के साथ जल्दी लॉन्च करने में मदद मिलती है, ताकि फीडबैक और सुधार की प्रक्रिया का चक्र शुरू किया जा सके.
- ग्राहक के फीडबैक को मिलाना: प्रोडक्ट के निरंतर विकास और सुधार के लिए ग्राहकों से निरंतर फीडबैक लेते रहना ज़रूरी होता है
- डेवलपमेंट की कुशल प्रक्रियाएं: डेवलपमेंट के लिए सुविधाजनक और दोहराई जाने वाली प्रक्रियाओं को अपनाने से ग्राहकों की ज़रूरतों और मार्केट की बदलती परिस्थितियों के हिसाब से तुरंत बदलाव करने में मदद मिलती है
- की परफॉर्मेंस इंडिकेटर (KPI) का उपयोग: लीन स्टार्टअप को उन KPI की पहचान करनी चाहिए और उनका मूल्यांकन करना चाहिए, जो सही दिशा में निर्णय लेने में मदद करने के लिए मार्केटप्लेस में उनके प्रोडक्ट की सफलता को सही तरीके से दर्शाते हों
- टीम के बीच बढ़िया संचार: टीम के बीच बेहतर तरीके से संचार होना इसलिए ज़रूरी है, ताकि विस्तृत जानकारी को सभी के साथ तुरंत शेयर किया जा सके और नई लर्निंग के हिसाब से निर्णय लिए जा सकें
इन ज़रूरतों को पूरा करने से इनोवेशन और सुगम्यता के चलन को बढ़ावा मिलता है, जो कि उन लीन स्टार्टअप्स के लिए अनिवार्य है, जिनका उद्देश्य मार्केट के बदलते परिवेश में सफलता पाना है
लीन स्टार्टअप का उदाहरण
लीन स्टार्टअप का एक बढ़िया उदाहरण है, ड्रॉपबॉक्स. यह फाइल स्टोरेज और शेयरिंग सर्विस है. अपने शुरुआती चरणों में, ड्रॉपबॉक्स ने लीन स्टार्टअप पद्धति को अपनाते हुए पूरी तरह से विकसित प्रोडक्ट बनाने के बजाय स्पष्टीकरण देने वाला एक साधारण वीडियो बनाकर शुरुआत की थी. इस वीडियो में प्रोडक्ट की भावी कार्यक्षमताओं के बारे में बताया गया था, साथ ही इसे उन संभावित यूज़र के लिए प्रस्तुत किया गया था, जिनकी दिलचस्पी का अंदाज़ा लगाना था और जिनसे फीडबैक लेना था. इस पर यूज़र ने पूरे उत्साह के साथ प्रतिक्रिया दी, जिससे मार्केट की ज़रूरतों की पुष्टि हुई और ड्रॉपबॉक्स को आगे के डेवलपमेंट करने के लिए सही दिशा मिली. इस तरीके से शुरुआती खर्च भी कम हुआ और बड़े निवेश करने से पहले ही कॉन्सेप्ट की भी पुष्टि हो गई, साथ ही मिनिमल वाएबल प्रोडक्ट (MVP) बनाने और रियल-वर्ल्ड के यूज़र के फीडबैक के आधार पर सुधार की प्रक्रिया अपनाने की क्षमता का भी पता चला.
लीन स्टार्टअप बनाम स्टार्टअप के पुराने तरीके
लीन स्टार्टअप और स्टार्टअप की पुरानी पद्धतियों में नए बिज़नेस को बनाने के तरीकों में काफी अंतर है:
- तेज़ी और अनुकूलता: लीन स्टार्टअप, प्रोटोटाइपिंग की तेज़ प्रोसेस और निरंतर सुधार की प्रक्रिया अपनाने पर ज़ोर देते हैं, जिससे उन्हें ग्राहक के फीडबैक के हिसाब से तुरंत बदलाव करने और उन्हें अपनाने में मदद मिलती है. बिज़नेस प्लानिंग के पुराने तरीकों में प्रोडक्ट के लिए अक्सर पहले से ही पूरी प्लानिंग की जाती है और उसे मार्केट में लॉन्च करने से पहले पूरी तरह से डेवलप कर दिया जाता है.
- रिसोर्स का बंटवारा: लीन स्टार्टअप, प्रोडक्ट में कम से कम निवेश करने पर फ़ोकस करते हैं और मार्केट की मांग की पुष्टि हो जाने के बाद उसे स्केल करते हैं, जबकि पुराने तरीकों से चलने वाले स्टार्टअप में शुरुआत में ही काफी पूंजी लगानी पड़ सकती है
- जोखिम का मैनेजमेंट: लीन स्टार्टअप के तरीके में अनुमानों की पहले ही पुष्टि कर ली जाती है और ग्राहक से फीडबैक लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है, जिससे जोखिम कम हो जाता है ; पुराने तरीकों में बिज़नेस प्लान को टेस्ट करने से पहले ही रिसोर्स लगा दिए जाते हैं, जिसकी वजह से अधिक जोखिम हो सकता है.
- फीडबैक मैकेनिज्म: ग्राहकों से लगातार फीडबैक लेना लीन प्रोसेस का एक अभिन्न अंग है, जिससे सीधे प्रोडक्ट के डेवलपमेंट को आकार दिया जाता है. इसके विपरीत, पुराने तरीके अपनाने वाले स्टार्टअप में भले ही प्रोडक्ट को मार्केट रिसर्च के आधार पर तैयार किया जाता है, लेकिन इनमें उपभोक्ता से सीधे इंटरैक्शन बहुत ही कम होता है
जो स्टार्टअप शुरुआत से ही बहुत व्यवस्थित तरीका अपनाना चाहते हैं, उनके लिए विस्तृत बिज़नेस प्लान बहुत अहम हो सकता है, खास तौर पर तब, जब स्टार्टअप के पुराने तरीकों को अपनाया जा रहा हो
लीन स्टार्टअप की मुख्य विशेषताएं
लीन स्टार्टअप की कई मुख्य विशेषताएं हैं, जो बिज़नेस की दृष्टि से आज के तेज़ी से बदलते परिवेश में प्रोडक्ट को लॉन्च करने और आगे बढ़ाने के तरीके बताती हैं. यहां मुख्य विशेषताएं दी गई हैं:
- ग्राहक के हिसाब से डेवलपमेंट: लीन स्टार्टअप, ग्राहक फीडबैक को प्राथमिकता देते हैं, जिससे उन्हें सुधार की प्रक्रिया और डेवलपमेंट के ज़रिए ऐसे प्रोडक्ट बनाने में मदद मिलती है जो वाकई मार्केट की मांग के हिसाब से सही होते हैं
- मिनिमल वाएबल प्रोडक्ट (MVP): वे लर्निंग साइकल शुरू करने के लिए जल्दी से जल्दी MVP तैयार करने पर फ़ोकस करते हैं, ताकि बड़े फ़ीचर को तब तक डेवलप न किया जाए, जब तक कि वे मार्केट के लिए उपयुक्त साबित न हो जाएं
- वैलिडेटेड लर्निंग: डेवलपमेंट की प्रक्रिया के हर चरण का उद्देश्य यह जानना होता है कि वाकई में ग्राहकों को क्या चाहिए, साथ ही इससे बेकार की जानकारी पर खर्च होने वाला समय भी बचता है
- प्रोडक्ट का सुविधाजनक विकास: ग्राहक की ज़रूरतों और मार्केट में होने वाले बदलाव को अपनाना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और लीन स्टार्टअप इस फीडबैक के आधार पर अपनी कार्यनीति तय करने में माहिर होते हैं
- डेटा के आधार पर निर्णय लेना: निर्णय पूरी तरह से मार्केट टेस्टिंग से मिले डेटा के आधार पर लिए जाते हैं, न कि मार्केट की ज़रूरतों के लिए लगाए गए अनुमानों या पहले से तय धारणाओं के आधार पर
- Build-measure-learn loop: फीडबैक लेने के इस आधारभूत लूप में आइडिया लाना, ग्राहक की प्रतिक्रियाओं और व्यवहार का मूल्यांकन करना और यह सीखना शामिल है कि मौजूदा दिशा में कोई बदलाव करना है या बिना किसी बदलाव के आगे बढ़ना है
इन विशेषताओं की मदद से लीन स्टार्टअप को जोखिम को कम करने में, साथ ही प्रोडक्ट लॉन्च करने के पुराने तरीकों और उसे मार्केट में लाने की कार्यनीतियों से जुड़ी निष्फलताओं से बचने में मदद मिलती है
निष्कर्ष
लीन स्टार्टअप की पद्धति नए बिज़नेस को लॉन्च करने के व्यावहारिक, किफायती तरीके बताती है, जिसमें प्रोटोटाइपिंग की तेज़ प्रक्रिया पर, लगातार फीडबैक लेने पर और निरंतर सुधार की प्रक्रिया पर ज़ोर दिया जाता है. इस कार्यनीति से आमतौर पर एक नया उद्यम शुरू करने से जुड़े जोखिम और खर्च को कम करने में मदद मिलती है. इससे स्टार्टअप को ज़्यादा तेज़ी से इनोवेट करने और मार्केट की ज़रूरतों को ज़्यादा असरदार तरीके से पूरा करने में मदद मिलती है. इस तरीके का इस्तेमाल करने वाले उद्यमी, बिज़नेस लोन ले सकते हैं, जिससे उनके लीन स्टार्टअप को शुरू करने के लिए ज़रूरी पूंजी की व्यवस्था हो जाती है और वे बिज़नेस को आगे बढ़ाने और ग्राहकों को संतोषजनक अनुभव देने पर फ़ोकस कर पाते हैं.