FD बेहतर निवेश विकल्प है या इक्विटी, यह बात व्यक्तिगत फाइनेंशियल लक्ष्यों, जोखिम सहनशीलता और निवेश अवधि पर निर्भर करती है. फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) सुरक्षा और स्थिर रिटर्न देते हैं और पूंजी सुरक्षा चाहने वाले संरक्षक निवेशकों के लिए आदर्श हैं. वहीं दूसरी ओर, इक्विटी लंबे समय में अधिक रिटर्न प्रदान करने की संभावना रखती है, यानी वह ऐसे लोगों के लिए उपयुक्त है जो मार्केट के उतार-चढ़ाव को स्वीकार करने को तैयार हैं. पोर्टफोलियो में FD और इक्विटी, दोनों को शामिल करके उसे संतुलित बनाया जा सकता है; ऐसे पोर्टफोलियो में सुरक्षा और वृद्धि क्षमता, दोनों होती हैं. अंततः यह चुनाव आपके फाइनेंशियल उद्देश्यों, निवेश की अवधि और जोखिम के साथ सहजता के लेवल के अनुरूप होना चाहिए.
- जोखिम उठाने की क्षमता
- फाइनेंशियल लक्ष्य
- आयु
- आय
- खर्च
- लिक्विडिटी की आवश्यकता
फाइनेंशियल विशेषज्ञ इन सभी विकल्पों पर नज़र डालने के बाद अपनी राह चुनने का सुझाव देते हैं. फिक्स्ड डिपॉज़िट और इक्विटी शेयर, दो पूरी तरह से अलग-अलग निवेश वर्ग हैं, और इनकी तुलना के समय यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोई भी एक विकल्प अकेले सर्वश्रेष्ठ नहीं है. हालांकि, दोनों टूल्स में उचित अनुपात में निवेश करना लाभकारी हो सकता है. आम तौर पर विशेषज्ञ निवेशकों को यह सुझाव देते हैं कि वे अच्छी विविधता वाला पोर्टफोलियो बनाए रखें. यह सुझाव, अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखने वाली कहावत से प्रेरित है. अलग-अलग एसेट वर्गों के संतुलित मिश्रण से आदर्श पोर्टफोलियो बनता है.
आइए, दोनों निवेश टूल्स को समझने की कोशिश करें.
फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD)
फिक्स्ड डिपॉज़िट एक निश्चित-आय इंस्ट्रूमेंट है जो मार्केट के उतार-चढ़ावों से प्रभावित नहीं होता है. FD खोलते समय लागू ब्याज दर उसकी पूरी अवधि के दौरान कायम रहती है. इससे, मेच्योरिटी के समय कितना रिटर्न मिलेगा यह अनुमान लगाना आसान हो जाता है. अगर आपके ऐसे कुछ फाइनेंशियल लक्ष्य हैं जिन्हें आप एक निर्धारित समयावधि में पूरा करना चाहते हैं, तो उनके लिए FD आदर्श निवेश साधन है. यह आज उपलब्ध सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है. इसमें निवेशक को पूंजी खोने के बारे में चिंता करने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं पड़ती है. हालांकि, कम जोखिम वाली यह राह अपने मार्केट-लिंक्ड साथियों की तुलना में बहुत आकर्षक रिटर्न नहीं देती है.
बैंक, डाकघर, और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFC) फिक्स्ड डिपॉज़िट सुविधाएं ऑफर करती हैं. बैंक FD और पोस्ट ऑफिस FD केंद्र सरकार द्वारा समर्थित होती हैं, इसलिए वे लगभग पूरी तरह जोखिम-मुक्त होती हैं. NBFC FD को कंपनी FD भी कहते हैं, और ये सुरक्षित होती हैं बशर्ते आप भारत की प्रमुख रेटिंग एजेंसियों द्वारा उन्हें दी गई क्रेडिट रेटिंग चेक कर लें. बजाज फाइनेंस जैसी कंपनियों की FD में उच्च FD दरों और डिपॉज़िट सुरक्षा का दोहरा लाभ मिलता है.
बजाज फाइनेंस द्वारा ऑफर किए जाने वाले FD प्लान के कुछ मुख्य बिंदु
- कम न्यूनतम निवेश राशि
- सुविधाजनक अवधियां
- सुविधाजनक भुगतान विकल्प
- ऑनलाइन अकाउंट मैनेजमेंट और बुकिंग की सुविधा
- FD पर लोन की सुविधा
- उच्च ब्याज दरें
- सीनियर सिटीज़न के लिए अतिरिक्त ब्याज दरें
60 वर्ष से कम आयु के निवेशकों को मिलने वाली ब्याज दरें इस प्रकार हैं.
*18, 22, 33, 42 और 44 महीनों की अवधि पर विशेष ब्याज दरें प्रदान की जाती हैं.
इक्विटी शेयर
यह निवेश वर्ग पूरी तरह से मार्केट मूवमेंट पर आधारित है और इसका काम करने का तरीका हाई-रिस्क हाई-रिवार्ड वाला है, इसलिए यह बहुत तेज़ी से बदलता है. इसमें, निवेशक किसी कंपनी के स्वामित्व वाले स्टॉक में अपना पैसा लगाता है, यानी वह उस कंपनी में आंशिक स्वामित्व का विकल्प चुनता है. अब, अगर कंपनी का परफॉर्मेंस अच्छा रहता है तो उसका स्टॉक भी अच्छा परफॉर्म करेगा, जिससे निवेशक को इतने अच्छे रिटर्न मिलेंगे जो FD जैसे निश्चित आय वाले इंस्ट्रूमेंट से काफी आगे होंगे. हालांकि, अगर कंपनी को नुकसान होता है तो स्टॉक औंधे मुंह गिरेगा, जिससे आपके निवेश की वैल्यू घटेगी और हो सकता है कि कुल वैल्यू आपके मूल पूंजी निवेश से भी नीचे चली जाए. इसलिए, इस एसेट वर्ग में निवेश करते समय उचित पड़ताल करना बहुत महत्वपूर्ण होता है.
निष्कर्ष यह है कि, यह कहना सही नहीं है कि कोई एक निवेश विकल्प दूसरे से बेहतर है. यह एक फाइनेंशियल चुनाव है जिसे ऊपर बताए गए पैरामीटर्स को ध्यान में रखकर समझदारी से किया जा सकता है और अलग-अलग निवेशक अलग-अलग विकल्प चुन सकते हैं. हालांकि, सौ बात की एक बात यह है कि अलग-अलग निवेश वर्गों में निवेश वाला विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो बनाकर रखना बहुत ही महत्वपूर्ण है. इससे जोखिम घटता है और कुल मिलाकर ऑप्टिमल रिटर्न भी सुनिश्चित होता है.