एन्युअल जनरल मीटिंग (AGM)

AGM: वह मीटिंग, जिसमें शेयरधारक कंपनी के मामलों पर चर्चा करते हैं और समाधान पर अपना वोट देते हैं.
एन्युअल जनरल मीटिंग (AGM)
3 मिनट
04-अप्रैल -2024

बेहतर कॉर्पोरेट शासन इस बात पर निर्भर करता है कि कंपनी का मैनेजमेंट और शेयरधारक कितनी बार और कितने असरदार तरीके से एकदूसरे से बातचीत करते हैं. एन्युअल जनरल मीटिंग (AGM) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां दोनों आमने-सामने होते हैं और पिछले वर्ष में मैनेजमेंट के द्वारा लिए गए बिज़नेस से जुड़े निर्णयों और दीर्घकालिक व अल्पकालिक कार्यनीतियों पर चर्चा और विचार-विमर्श करते हैं. एन्युअल जनरल मीटिंग क्या होती है?

AGM का अर्थ

जैसा कि नाम से ही पता चलता है, एन्युअल जनरल मीटिंग, साल भर में एक बार होने वाली एक औपचारिक सभा होती है या ये कहें कि इस दौरान निदेशक मंडल और कंपनी के शेयरधारक एक जगह एकत्र होते हैं. AGM में, शेयरधारक, कंपनी के बिज़नेस को आगे बढ़ाने और उसके लाभ में बढ़ोत्तरी लाने के लिए मैनेजमेंट द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में अपनी राय रखते हैं और उनकी सराहना भी करते हैं. मुख्य मुद्दे, जैसे कि पिछले वर्ष में कंपनी की परफॉर्मेंस या ऑडिटर की नियुक्ति पर वोटिंग की जाती है और फिर अंतिम निर्णय लिए जाते हैं. AGM का एक बहुत महत्वपूर्ण उद्देश्य यह पक्का करना होता है कि शेयरधारकों को कंपनी की गतिविधियों के बारे में बराबर जानकारी है और उनके हितों का ध्यान रखा जा रहा है.

कानूनी मैंडेट

कई देशों ने फर्म और उनकी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाए हैं. ऐसी ही एक कानूनी आवश्यकता यह है कि शेयरधारकों ने जिस कंपनी में निवेश किया है, उसके मैनेजमेंट से सवाल-जवाब करने के लिए कंपनी द्वारा साल भर में एक बार एक मीटिंग रखी जाए. भारत में, कॉर्पोरेट जगत को 2013 के कंपनी अधिनियम के अनुसार नियंत्रित किया जाता है. इस अधिनियम के तहत, यह अनिवार्य है कि प्रत्येक "प्राइवेट लिमिटेड कंपनी" या "लिमिटेड कंपनी" सालभर में एक बार जनरल मीटिंग का आयोजन करे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शेयरधारकों को कंपनी की परफॉर्मेंस, कंपनी को आंतरिक तौर पर कैसे चलाया जा रहा है और निर्णय लेने के लिए किन प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है, आदि के बारे में बराबर जानकारी मिल रही है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा जारी किए गए 2018 के नोटिफिकेशन के अनुसार, देश के शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध संगठनों को वित्तीय वर्ष (FY) समाप्त होने के बाद पांच महीनों के भीतर AGM रखनी होगी. दूसरी ओर, कंपनी अधिनियम के अनुसार यह ज़रूरी है कि कंपनी हर साल 30 सितंबर से पहले AGM बुलाए, अर्थात एक वित्तीय वर्ष समाप्त होने के छह महीने के बाद नहीं. यह विनियमन केवल वन पर्सन कंपनी (OPC) अर्थात किसी एक व्यक्ति द्वारा संचालित कंपनी पर लागू नहीं होता है.

AGM का एजेंडा

एन्युअल जनरल मीटिंग में क्या होता है? AGM में कई अहम मामलों पर विचार-विमर्श किया जाता है और सभी लोग अपनी-अपनी राय देते हैं. अगर पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी की परफॉर्मेंस अपेक्षा से कम रही हो, तो शेयरधारक अपनी चिंताओं के बारे में प्रश्न उठाते हैं, साथ ही इस बारे में भी चर्चा की जाती है कि मैनेजमेंट में आने वाले वर्ष में कैसे आगे बढ़ना है. आमतौर पर, इन मीटिंग के एजेंडा में आगे बताए गए विषय शामिल होते हैं:

  • व्यापक चर्चा, गहन विचार-विमर्श और ऑडिट किए गए फाइनेंशियल स्टेटमेंट का फाइनल अडॉप्शन
  • निदेशक और ऑडिटर द्वारा सबमिट की जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा और विचार-विमर्श
  • शेयरधारकों को दिए जाने वाले लाभांश की घोषणा
  • निदेशकों का निर्वाचन और नियुक्ति, जिससे उन निदेशकों को बदला जाएगा, जिनका कार्यकाल समाप्त हो गया है या जिन्होंने अपनी इच्छा से सेवानिवृत्ति ले ली है
  • कंपनी के ऑडिटर की नियुक्ति और ऑडिटर के पारिश्रमिक के बारे में निर्णय लिया जाएगा
  • ऐसे किसी अन्य बिज़नेस पर चर्चा, जिसे कंपनी एक विशेष बिज़नेस के तौर पर संचालित कर रही हो

AGM की कार्यविधि

कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत, कंपनी द्वारा AGM बुलाने का फैसला करने के बाद, कंपनी को मीटिंग से कम से कम 21 दिन पहले सभी शेयरधारकों के लिए एक सूचना जारी करनी होगी. सूचना में शेयरहोल्डर के लिए मीटिंग में भाग लेने के लिए सभी ज़रूरी जानकारी होनी चाहिए, जैसे कि एन्युअल जनरल मीटिंग का समय और स्थान. इसके अलावा, मीटिंग की सूचना इन लोगों को भेजी जानी चाहिए:

  • कंपनी के सभी सदस्य
  • मृतक सदस्य का कानूनी प्रतिनिधि
  • दिवालिया सदस्य का असाइनी
  • कंपनी के नियुक्त ऑडिटर
  • कंपनी के सभी निदेशक

कंपनी के सामान्य बिज़नेस के संचालन से संबंधित निर्णय “ऑर्डिनरी सॉल्यूशन” के माध्यम से लिए जाते हैं. बिज़नेस से जुड़ी विशेष गतिविधियों के मामले में, “स्पेशल सॉल्यूशन” पास किया जाना चाहिए, जिसके लिए कंपनी के 75% वोटिंग सदस्य के अप्रूवल की ज़रूरत होती है.

AGM का कोरम

कानूनी शब्दों में कहा जाए, तो कोरम उन न्यूनतम प्रतिनिधियों की संख्या होती है, जिनका एन्युअल जनरल मीटिंग में उपस्थित होना अनिवार्य होता है. कोरम की अनुपस्थिति में AGM को शुरू नहीं किया जा सकता. भारत में, एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए, कंपनी के दो सदस्य कोरम की ज़रूरत को पूरा करते हैं. दूसरी ओर, पब्लिक कंपनी के लिए, कोरम से जुड़ी ज़रूरतें इस प्रकार हैं:

  • अगर सदस्यों की संख्या 1,000 से कम है, तो पांच सदस्य मिलकर कोरम का गठन करते हैं.
  • अगर सदस्यों की संख्या 1,000 से 5,000 के बीच है, तो AGM के लिए कोरम को पंद्रह सदस्यों की ज़रूरत होती है.
  • अगर सदस्यों की संख्या 5,000 से अधिक है, तो तीस सदस्य कोरम में शामिल होते हैं.

सदस्यों के अधिकार

कानून, कंपनी के सदस्यों को कुछ अधिकार प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि स्टेकहोल्डर के पास मैनेजमेंट से सवाल-जवाब करने के लिए पर्याप्त अधिकार हों, साथ ही इससे उनके हितों की भी सुरक्षा होती है. शेयरधारकों सहित सभी कंपनी के सदस्यों को एनुअल जनरल मीटिंग में भाग लेने और निर्णयों पर वोटिंग करने का अधिकार होता है. जो सदस्य मान्य कारणों से उपस्थित नहीं हो पाते हैं, वे अपनी ओर से वोटिंग करने के लिए प्रतिनिधि नियुक्त कर सकते हैं. इसके अलावा, सदस्य अपने बीच में से ही मीटिंग के लिए एक अध्यक्ष चुन सकते हैं. ये सदस्यों को प्राप्त सबसे महत्वपूर्ण अधिकार हैं, इसके साथ ही अन्य विशेषाधिकार भी हैं, जो कंपनी नियमों के अनुसार उन्हें ऑफर कर सकती है.

महत्व

कॉर्पोरेट की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाना और कंपनी मैनेजमेंट को उसके कार्यों के लिए जवाबदार ठहराना, दो ऐसे सबसे महत्वपूर्ण कारण हैं, जिनकी वजह से एन्युअल जनरल मीटिंग की जाना अनिवार्य है. इन मीटिंग के दौरान कंपनी की लीडरशिप क्वॉलिटी का मूल्यांकन किया जाता है, जिससे शेयरधारकों को यह तय करने में मदद मिल सकती है कि संगठन के साथ बने रहना है या फिर अपनी पोजीशन को लिक्विडेट (खत्म) करना है. अंत में, एन्युअल जनरल मीटिंग से मार्केट भी प्रभावित होता है, जैसे कि एक्सचेंज में होने वाली इस तरह की मीटिंग यह संकेत देती हैं कि भविष्य में कंपनी किस दिशा में आगे बढ़ सकती है, खासतौर पर अगर कंपनी मार्केट में अपनी अहम मौजूदगी रखती है तो, और निवेशक उसके अनुसार अपने निर्णय ले सकते हैं.

निष्कर्ष

सारांश में, एन्युअल जनरल मीटिंग (AGM) कॉर्पोरेट गवर्नेंस के लिए एक आधारशिला है, जिससे मैनेजमेंट और शेयरधारकों के बीच बातचीत की सुविधा मिलती है. भारत के कंपनी अधिनियम 2013 जैसे कानूनी तंत्रों के हिसाब से तय की गई अनिवार्यता के अनुसार, AGM के ज़रिए कंपनी की कार्यनीतियों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है. व्यवस्थित एजेंडा के साथ, जिसमें वित्तीय आंकड़ों, निदेशक के लिए रिपोर्ट और नियुक्ति से जुड़े निर्णय शामिल हों.

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