ELSS फंड क्या हैं

इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ प्रदान करता है. ELSS में इन्वेस्ट करके, आप प्रति वर्ष ₹ 1.5 लाख तक की टैक्स कटौती का क्लेम कर सकते हैं.
ELSS फंड क्या हैं
3 मिनट
01 अप्रैल 2024

बुद्धिमानी से निवेश करना केवल पूंजी बढ़ाने के बारे में ही नहीं है; यह टैक्स को अपने अनुकूल करने के बारे में भी है. इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) म्यूचुअल फंड टैक्स में बचत के साथ ही निवेश की वृद्धि के लिए एक क्रियाशील समाधान हैं. आइए, हम समझते हैं कि ELSS फंड, उनकी विशेषताएं, व उनके टैक्स लाभ क्या हैं और वे निवेश का आकर्षक तरीका क्यों हैं.

ELSS फंड क्या है?

ELSS फंड इक्विटी म्यूचुअल फंड की एक कैटेगरी है, जो मुख्य रूप से स्टॉक में निवेश करती है. इसकी सबसे खास बात जो इसे दूसरों से अलग करती हैं, वो है कि इसमें इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स का लाभ मिलता है. तीन वर्षों की लॉक-इन अवधि के साथ, ये ELSS फंड टैक्स बचत के लाभ के साथ साथ पूंजी में वृद्धि की क्षमता का अच्छा संयोग बनाते है.

ELSS म्यूचुअल फंड की विशेषताएं और लाभ

ELSS फंड निवेशक के पोर्टफोलियो में वृद्धि की संभावना और टैक्स की कुशलता का मिश्रण लाते हैं. ELSS फंड की कुछ विशेषताएं और लाभ इस प्रकार हैं:

  • सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ: ELSS फंड्स में निवेश करने पर निवेशक को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती मिलती हैं. यह उन्हें टैक्स प्लानिंग और पूंजी निर्माण के लिए एक प्रभावी साधन बनाता है.
  • सबसे छोटी लॉक-इन अवधि: ELSS फंड, अन्य सभी 80C के टैक्स-सेविंग इंस्ट्रूमेंट की तुलना में सबसे छोटी लॉक-इन अवधि, यानि सिर्फ तीन वर्षों के साथ आते हैं. इससे निवेशकों को अपने फाइनेंशियल लक्ष्यों के अनुसार अपने निवेश को प्लान करने की सुविधा मिलती है.
  • उच्च रिटर्न की संभावना: इक्विटी-आधारित होने के कारण, ELSS फंड्स में PPF, NSC, NPS आदि जैसे पारंपरिक टैक्स बचाने वाले साधनों की तुलना में उच्च रिटर्न देने की क्षमता होती है. इक्विटी मार्केट का एक्सपोज़र, निवेशक को स्टॉक के बढ़ने की संभावना से लाभ उठाने का मौका देता है.
  • प्रोफेशनल फंड मैनेजमेंट: ELSS फंड को अनुभवी फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, जो रणनीतिक निवेश निर्णय लेते हैं. इस प्रोफेशनल मैनेजमेंट का उद्देश्य है, रिटर्न को अनुकूल करना और जोखिमों को असरदार तरीके से संभालना.
  • पोर्टफोलियो में विविधता: ELSS फंड इक्विटी के अलग अलग पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं, जिससे केंद्रित निवेश से जुड़े जोखिम कम हो जाते हैं. मार्केट के उतार-चढ़ाव को मैनेज करने में विविधता एक महत्वपूर्ण कारक है.
  • निवेश के तरीकों में सुविधा: निवेशक अपनी फाइनेंशियल प्राथमिकताओं के आधार पर सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) और एक मुश्त निवेश में से किसी को भी चुन सकते हैं. SIPs, विशेष रूप से, निवेश करने का अनुशासित और क्रमवार तरीका प्रदान करते हैं.
  • पारदर्शी और निगमित: ELSS फंड्स भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों के तहत काम करते हैं, जो निवेश में पारदर्शिता और निर्देशों के पालन को सुनिश्चित करता है. नियामक की यह निगरानी निवेशकों को सुरक्षा का अतिरिक्त स्तर प्रदान करती है.

आपको ELSS टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में क्यों निवेश करना चाहिए?

ELSS फंड न केवल टैक्स लाभ प्रदान करते हैं बल्कि इक्विटी एक्सपोज़र के माध्यम से पूंजी बनाने की क्षमता भी प्रदान करते हैं. प्रोफेशनल फंड मैनेजमेंट और SIPs के माध्यम से निवेश करने की सुविधा के कारण, ELSS लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल लक्ष्यों को पाने का एक कुशल तरीका है.

ELSS फंड में निवेश करने से पहले विचार करने लायक बातें

ELSS निवेशों में निवेश करने से पहले कई कारकों पर विचार करना महत्वपूर्ण है जैसे कि फंड की ऐतिहासिक परफॉर्मेंस, फंड मैनेजर की विशेषज्ञता और निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता. ELSS फंड्स इक्विटी-आधारित होते हैं, इसलिए इनमें मार्केट के जोखिम बने रहते हैं और निवेशकों को लॉक-इन अवधि के अनुसार अपने निवेश लक्ष्यों को तय करना चाहिए.

तरीका क्या होना चाहिए - SIP या एक मुश्त ?

सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP):

  • नियमित और अनुशासित निवेश: SIP में नियमित अंतराल पर निरंतर निवेश शामिल होता है, जो फाइनेंशियल अनुशासन को बढ़ावा देता है. निवेशक समय-समय पर, आमतौर पर हर महीने एक निश्चित राशि का योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, यह प्रतिबद्धता पूंजी बनाने के लिए व्यवस्थित सोच और आदत को पक्का करने में मदद करती है.
  • मार्केट की अस्थिरता को कम करना: SIPs से रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का लाभ मिलता है, जो मार्केट के उतार-चढ़ाव से लड़ने की स्ट्रेटेजी है. निश्चित राशि का निवेश करके, निवेशक, कीमतें कम होने पर ऑटोमैटिक रूप से ज़्यादा यूनिट खरीदते हैं और कीमतें ज़्यादा होने पर कम यूनिट खरीदते हैं, जिससे मार्केट के उतार-चढ़ाव का प्रभाव, समय के साथ खत्म हो जाता है.
  • सुविधा और पहुंच: SIPs सुविधाजनक हैं, इसमें निवेशक मामूली राशि से शुरू करके समय के साथ अपना निवेश बढ़ा सकते हैं. इस विशेषता के चलते, ELSS निवेश ज़्यादा समावेशी बनते हैं, जिनमें विभिन्न आर्थिक क्षमताओं वाले निवेशक इसका लाभ उठा सकते हैं.

एक मुश्त निवेश:

  • मार्केट के अवसरों पर पूंजीकरण: एक मुश्त या लंपसम निवेश में एक बार में ही बड़ी राशि लगाई जाती है. यह तरीका ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जिनमें मार्केट की व्यापक समझ हो और जो पर्याप्त निवेश के अवसरों को पहचानने की योग्यता रखते हैं.
  • उच्च रिटर्न की क्षमता: जहां एक मुश्त निवेश करने से निवेशक पर मार्केट के जोखिम बने रहते हैं, वहीं ये निवेश उच्च रिटर्न देने की क्षमता भी रखते हैं. अगर सही समय पर कदम उठाया जाए, तो मंदी के समय मार्केट में एकमुश्त निवेश करना, भविष्य में आने वाले उछालों के चलते आपको बड़ा फायदा दे सकता है.
  • कम प्रशासनिक परेशानियां: एक मुश्त के विकल्प में एक बार में निवेश करना होता है, इससे बार-बार ट्रांज़ैक्शन से जुड़ी प्रशासनिक जटिलताएं कम होती हैं. यह सरलता ऐसे निवेशक को आकर्षित करती है जो अपने ELSS निवेश को मैनेज करने के लिए सीधा सरल और व्यवहारिक तरीका चाहते हैं.

SIP और एक मुश्त के बीच में सही विकल्प क्या है?

  • निवेश की अवधि और लक्ष्य: निवेशक को SIP और एक मुश्त में से किसी एक विकल्प के साथ अपनी निवेश अवधि और फाइनेंशियल उद्देश्यों को मिलाना चाहिए. SIP ऐसे निवेशकों के लिए उचित है जो लॉन्ग टर्म के लिए पूंजी निर्माण का उद्देश्य रखते हैं और लगातार व अनुशासित तरीके से योगदान कर सकते हैं, जबकि एक मुश्त ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त हो सकता है जिनके पास मार्केट-प्रवेश की रणनीतिक योजना है.

  • जोखिम लेने की क्षमता: जोखिम लेने की क्षमता का आकलन करना महत्वपूर्ण है. SIP, अपनी रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग युक्ति के साथ, मार्केट के उतार-चढ़ाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है. इसके विपरीत, एक मुश्त निवेश करने वाले निवेशकों को तुरंत मार्केट की स्थितियां प्रभावित करती हैं, इस लिए उनमें उच्च जोखिम लेने की क्षमता और मार्केट की समझ होना आवश्यक है.

  • फाइनेंशियल क्षमता: व्यक्तिगत फाइनेंशियल क्षमता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. SIP छोटे बजट वाले निवेशकों की आवश्यकताओं को पूरा करता है, जिससे उन्हें समय के साथ निवेश को बढ़ाने की सुविधा मिलती है. दूसरी ओर, एक मुश्त का विकल्प, ऐसे निवेशकों के लिए उत्तम है जिनके पास तुरंत निवेश करने के लिए बड़ी राशि उपलब्ध है.

ELSS फंड को नियंत्रित करने वाले टैक्स से जुड़े नियम

इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) फंड की तीन वर्ष की लॉक-इन अवधि को देखते हुए, इनसे विशेष रूप से लॉन्ग-टर्म पूंजी अर्जित होती है, जिससे शॉर्ट-टर्म लाभ प्राप्ति की संभावना समाप्त हो जाती है. कमाए हुए लॉन्ग-टर्म पूंजी लाभ पर वार्षिक ₹1 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है, किसी भी सरप्लस के लिए 10% लॉन्ग-टर्म पूंजी लाभ पर टैक्स लगता है.

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के अनुसार, निवेशक ELSS स्कीम में निवेश किए गए मूलधन पर संचयी टैक्स कटौती का लाभ उठा सकते हैं. यह कटौती, ₹1.5 लाख तक सीमित है, जिसमें ELSS, NSC, PPF सहित विभिन्न निश्चित इंस्ट्रूमेंट में निवेश किया जा सकता है.

इसके अलावा, ELSS स्कीम 3 वर्षों की अनिवार्य लॉक-इन अवधि के साथ आती हैं. यूनिट्स रिडीम करते समय, निवेशकों पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) लागू होता है. विशेष रूप से, एक वित्तीय वर्ष में ₹1 लाख तक के LTCG पर टैक्स नहीं लगता है, जबकि ₹1 लाख से अधिक के लाभ पर 10% टैक्स लागू होता है (महंगाई को ध्यान में लिए बिना).

निष्कर्ष

ELSS म्यूचुअल फंड एक बहुमुखी निवेश मार्ग के रूप में उपलब्ध हैं, जो न केवल टैक्स लाभ प्रदान करता है बल्कि पूंजी वृद्धि की क्षमता भी प्रदान करता है. अपेक्षाकृत छोटी लॉक-इन अवधि और इक्विटी एक्सपोज़र का मेल होने से, ELSS टैक्स कुशलता और पूंजी बनाने का उद्देश्य रखने वाले निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प है. निवेश के निर्णय लेने से पहले, निवेशकों को अपने फाइनेंशियल लक्ष्यों, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की सीमा का ध्यान से आकलन करना चाहिए.

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